लगभग 300 से भी अधिक पुराना मध्य प्रदेश में ग्वालियर महानगर में डीडवाना ओली में स्थित “ श्री १००८ पार्श्वनाथ दिगंबर जैन बड़ा मन्दिर तेरापंथ पंचायती जिनालय “ अपने बहुआयामी कलाभिधानो के लिए सर्वाधिक प्रशंसनीय है | यह मन्दिर न केवल ग्वालियर नगर में धार्मिक आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है अपितु मराठा – सिंधिया वास्तुकला की दृष्टी से यह बहुत महत्वपूर्ण है और इससे भी अचिक इसमें विराजमान मूर्तियों, अभिलेख, संगृहीत पांडुलिपियाँ एवं चित्र आदि इसके ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्त्व को बहुगुणित कर देते हैं | वर्तमान में यह मन्दिर “श्री दिगंबर जैन स्वर्ण मन्दिर” के नाम से अधिक लोकप्रिय है, इसका मुख्य कारण इस मन्दिर के विभिन्न कक्षों की आंतरिक दीवारों पर विविध रंगों जिनमे स्वर्ण रंग की अधिकता है, से सुन्दर एवं नयनाभिराम चित्रकारी हुई है, इसी कारण इसका नाम स्वर्ण मन्दिर पड़ा है | कहा जाता है कि इस मन्दिर की चित्रकारी में मनो शुद्ध सोने का उपयोग हुआ था |
मन्दिर के मध्य में ऊँचे सिंहासन पर मन्दिर के मुलनायक तीर्थंकर पार्श्वनाथ भगवान् की कृष्ण वर्ण के पाषाण से निर्मित पद्मासन कमलासना प्रतिमा पूर्णत: संगमरमर एवं स्वर्ण कारीगरी से निर्मित मनोहारी समवशरण में विराजमान है |
मन्दिर जी में बहुरंगीय अलंकरण अभिप्रायों तथा विविध आकार वाले माणिकों, दर्पणों एवं बहुत बारीक स्वर्ण कलाकृतियों से एवं जैन धर्म समबन्धि विविध कथानको एवं तीर्थ क्षेत्रों को संपूर्णता में प्रस्तुत करने का सुन्दर प्रयास सहित एक सुशोभित विशाल बरामदा है इसे स्वाध्याय कक्ष या सरस्वती कक्ष अथवा सभामंड़प भी कहा जाता है | मन्दिर के विशाल बरामदे में चारो ओर बलुए पाषाण से बने स्तंभों एवं दीवारों पर भी सुन्दर पुष्प-पत्रीयों की नक्काशी की गई है | धार्मिक दृष्टी से यह मन्दिर अत्यंत महत्वपूर्ण है | प्रतिदिन प्रात:काल से ही श्रद्धालु मन्दिर पहुचने लगते हैं वे यहाँ देव दर्शन, पूजा प्रक्षाल मंत्रोचारण, जिनवानी का वाचन आदि धार्मिक क्रियाकलाप करते हैं | जैन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए मन्दिर प्रबंधन द्वारा समय समय पर धार्मिक आयोजन एवं विद्वानों के प्रवचन की वयवस्था की जाती है | इस मन्दिर जी का वातावरण इतना रमणीय है कि यहाँ पहुँचने वाला प्रत्येक जन धार्मिक भावना से भाव-विभोर हो जाता है |
शहर के सभी आश्रमों में भोजन एवं दवाइयांवितरित करते है एवं पशु-पक्षियों को दाना-पानी की व्यवस्था करते है एवं समय-समय पर नैतिक शिक्षा की क्लास लगवाते है | साधू संतो का चातुर्मास करवाते है | मंदिर जी में संस्कार शिविरोंका आयोजन करते है !
मंदिर के पास ही पार्श्वनाथ धर्मशाला एवं होटल व्यवस्था है जिनमें लगभग 500 डीलक्स कमरे निर्मित है। उनमें से वातानूलित व साधारण कमरे उचित सहयोग राशि के साथ उपलब्ध है। कमरों में 24 घण्टे बिजली, पानी आदि की समुचित व्यवस्था है। एवं मंदिर के सामने सात्विक भोजनालय भी उपलब्ध है|
ग्वालियर से सोनागिरी और ग्वालियर क्षेत्र मे स्थित जैन मंदिर आदि क्षेत्रों के जाने आने के लिए बसों का आवागन बराबर बना रहता है। साथ टैक्सी आदि की सुविधा उपलब्ध है। जिससे क्षेत्र पर आने जाने की कोई असुविधा न हो।